Sunday, 20 December 2015

नीलाम कुछ इस कदर हुए,
बाज़ार-ए-वफ़ा मेँ हम आज,
बोली लगाने वाले भी वो ही थे,
जो कभी जौली फैला कर माँगा करते थे।

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